top of page
Bird-No Background.png

'' से कविता

साहित्योत्सव, जुलाई 13

10 AM - 7 PM

वीडियो क्रेडिट: हिंदी कविता

Bird-No Background.png

उद्घाटन सत्र

ainul-hassan-1024x777.jpg

प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन 

हमें यह कहते हुए अत्यंत गर्व हो रहा है कि हमारे साहित्यिक आयोजन का उद्घाटन पद्मश्री प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन करेंगे, जो मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति हैं। भाषा, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में 32 वर्षों से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रो. हसन न केवल एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् हैं, बल्कि भारत-अफ़ग़ान संबंधों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करने वाले एक संवेदनशील सेतु भी हैं। जेएनयू में फारसी और मध्य एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर रहे प्रो. हसन को भारत सरकार द्वारा 2025 में पद्मश्री और 2017 में राष्ट्रपति द्वारा 'Certificate of Honour' से सम्मानित किया गया। उनकी विद्वत्ता, लेखन और अनुवाद कार्य ने साहित्यिक संवाद को नई दिशा दी है। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि इतने विशिष्ट और प्रेरणास्पद व्यक्तित्व के कर-कमलों से हमारा यह कार्यक्रम आरंभ होगा।

WhatsApp Image 2025-05-01 at 18.54.42.jpeg

प्रो. मोहम्मद नसीमुद्दीन फ़रीस

हमारे वार्षिक साहित्यिक समारोह में प्रख्यात विद्वान, शिक्षक और समालोचक प्रो. मोहम्मद नसीमुद्दीन फ़रीस की उपस्थिति हमारे लिए अत्यंत सम्मान की बात है। उर्दू में स्वर्ण पदक विजेता प्रो. फ़रीस दक्खिनी साहित्य पर अपने विचार साझा करेंगे। उनके 22 वर्षों के शैक्षणिक अनुभव में पाँच वर्ष अध्यापन और सत्रह वर्ष शोध को समर्पित रहे हैं। उन्होंने सात पुस्तकें, 25 शोध-पत्र, 40 से अधिक आलोचनात्मक निबंध और कई साप्ताहिक स्तंभ व पुस्तक समीक्षाएँ लिखी हैं। प्रो. फ़रीस ने अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के लिए पाठ्यक्रम तैयार किए हैं और विभिन्न अकादमिक बोर्डों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दक्खिनी साहित्य की समृद्ध परंपरा पर उनके विचार सुनना हम सभी के लिए एक दुर्लभ अवसर होगा।

नरेंद्र राय 'नरेन'

हमारे वार्षिक साहित्यिक समारोह में बहुमुखी प्रतिभा के धनी और प्रसिद्ध दक्खिनी शायर श्री नरेंद्र राय 'नरेन' की उपस्थिति हमारे लिए विशेष सम्मान की बात है। वे न केवल हास्य-व्यंग्य से भरपूर प्रभावशाली दक्खिनी कविता के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि एक कुशल चित्रकार और सितार वादक भी हैं। उनके काव्य में प्रयुक्त बिंब और रूपकों के साथ-साथ उनकी चित्रकला में दृष्टिगत गहराई उनकी सृजनात्मक दृष्टि का प्रमाण है। उनकी पुस्तक रेखांकित रेखाएँ में अंतरराष्ट्रीय चित्रकारों की झलकियाँ उनकी सादगी और कृतज्ञता दर्शाती हैं। अंधेरों के खिलाफ जैसे कविता संग्रह को प्राप्त सम्मान और न्योछावर में कारगिल शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि उनके ओजपूर्ण लेखन और देशप्रेम को दर्शाते हैं।

WhatsApp Image 2025-05-01 at 18.57.31.jpeg
Bird-No Background.png

साहित्यिक परिचर्चा 

ArunKamal.webp

अरुण कमल 

हमारे वार्षिक साहित्यिक समारोह में समकालीन हिंदी साहित्य की प्रमुख आवाज़, अरुण कमल की उपस्थिति हमारे लिए गौरव की बात है। सुप्रसिद्ध कवि, निबंधकार, संपादक और अनुवादक अरुण कमल सात प्रशंसित काव्य संग्रहों, बाल साहित्य, साहित्यिक निबंधों और अनुवादों के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध कर चुके हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित अरुण कमल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आलोचना पत्रिका के संपादक के रूप में और नवभारत टाइम्स व प्रभात खबर जैसे प्रमुख पत्रों में योगदान के ज़रिए उन्होंने साहित्यिक विमर्श को दशकों तक दिशा दी है।

अभिषेक शुक्ला

हमारे वार्षिक साहित्यिक समारोह में ग़ज़ल की दुनिया में अपनी खास पहचान बना चुके चर्चित रचनाकार अभिषेक शुक्ला  की उपस्थिति हमारे लिए गर्व का विषय है। ग़ाज़ीपुर में जन्मे और लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.कॉम. की पढ़ाई करने वाले अभिषेक  शुक्ला की शायरी में मोहब्बत की रवानगी और अभिव्यक्ति की परिपक्वता साफ़ झलकती है। उनके पहले काव्य संग्रह "हर्फ़-ए-आवारा" ने राजकमल प्रकाशन से 2020 में प्रकाशित होकर साहित्य जगत में विशेष पहचान बनाई। सूक्ष्म दृष्टि, बहर की समझ और व्यंग्य की सटीकता उन्हें समकालीन ग़ज़लकारों में विशिष्ट बनाती है। लखनऊ की तहज़ीब और सांस्कृतिक खूबसूरती उनकी शख्सियत और शायरी दोनों में नजर आती है।

WhatsApp Image 2025-05-03 at 11.39.04.jpeg
Bird-No Background_edited.png

क से कविता साहित्योत्सव
एक दिन साहित्य के नाम

Support us to Support Literature

QRCode.jpeg

Use above QR code to donate.
Every donation counts!

साहित्य प्रेमियों को आमंत्रित करते हुए हमें अपार हर्ष हो रहा है कि ‘क से कविता’ का वार्षिक समारोह आपके समक्ष प्रस्तुत है। यह उत्सव न केवल कविता का, बल्कि भाषा, विचार और अभिव्यक्ति के उस जीवंत संसार का उत्सव है, जिसने हमारी ज़िन्दगी को कहीं न कहीं छुआ है।


हमारे यूट्यूब चैनल हिन्दी कविता और उर्दू स्टूडियो,  ने दुनिया भर में हिन्दी और उर्दू कविता के श्रोताओं को जोड़ने का कार्य किया है। इन मंचों ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी को भारतीय भाषाओं के समृद्ध काव्य परंपरा से जोड़ने में एक सेतु की भूमिका निभाई है।
 

इसी प्रयास की अगली कड़ी है ‘क से कविता’ — एक ऐसा मंच जो स्थानीय स्तर पर हिन्दी/उर्दू कविता के पाठकों को एक साथ लाता है। यह मंच खास है, क्योंकि यह पाठकों का मंच है, स्वरचित कविताओं की अनुमति नहीं है — और यही बात इसे एक पाठक-केंद्रित, विशुद्ध साहित्यिक मंच बनाती है।


हर महीने के दूसरे शनिवार को नियमित रूप से होने वाले इस कार्यक्रम को मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय का सहयोग प्राप्त है।

 ‘क से कविता’ का वार्षिकोत्सव, जो 13 जुलाई, रविवार को एक दिवसीय साहित्यिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित होगा, इसमें साहित्यिक परिचर्चा, कविता-पाठ, नाट्य मंचन, संगीत और अन्य विविध गतिविधियाँ शामिल होंगी। यह कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क है और हम आशा करते हैं कि आप यहाँ से ढेरों स्मृतियाँ और प्रेरणाएँ लेकर लौटेंगे।


यदि आपको हिन्दी या उर्दू साहित्य से प्रेम है, तो यह दिन आपके लिए है। हम आपकी उपस्थिति की प्रतीक्षा कर रहे हैं

कार्यक्रम की रूपरेखा

Bird-No Background.png

कार्यक्रम की रूपरेखा

fotor-20250504213038 copy_edited.jpg

1

क से कविता — हैदराबाद साहित्योत्सव का शुभारंभ होगा पद्मश्री प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन के उद्घाटन भाषण के साथ। वे एक प्रतिष्ठित साहित्यकार होने के साथ-साथ मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति भी हैं। इस विशेष अवसर पर उनका वक्तव्य न केवल कार्यक्रम की दिशा तय करेगा, बल्कि साहित्यिक संवाद की नई संभावनाओं के द्वार भी खोलेगा।

2

इस विशेष सत्र में आप रूबरू होंगे समकालीन साहित्य की अग्रणी हस्तियों — अरुण कमल, अभिषेक शुक्ला, प्रो. मोहम्मद नसीमुद्दीन फ़रीस और अन्य विद्वानों से। परिचर्चा के केंद्र में  विषय होंगे -  हिंदी कविता पढ़ने की आवश्यकता, उर्दू ग़ज़ल और नज़्म की समकालीनता, और दक्खिनी कविता का सफ़रनामा। यह संवाद सिर्फ़ विचारों का नहीं, साहित्य की आत्मा से सीधा साक्षात्कार होगा।

3

नाटक, साहित्य की आत्मा को मंच पर जीवंत कर देता है। इस सत्र में प्रस्तुत होंगी दो संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली नाटिकाएँ — एक कैफ़ी आज़मी पर, और दूसरी सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' पर। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से दर्शक न केवल इन महान साहित्यकारों की रचनाओं से, बल्कि उनके जीवन-संघर्ष और विचारधारा से भी परिचित होंगे।

4

कविता पाठ

क से कविता विशुद्ध रूप से पाठकों का मंच रहा है। इस विशेष खंड में कुछ अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ, कुछ अहिंदी भाषी साहित्यप्रेमी, और कुछ प्रभावशाली व्यक्तित्व उन कविताओं को पढ़ेंगे, जिन्होंने उन्हें गहराई से छुआ है, प्रभावित किया है। यह सत्र भाषा, भाव और अनुभूति के सेतु की तरह होगा;  एक ऐसा अनुभव जिसे आप महसूस करेंगे, सिर्फ़ सुनेंगे नहीं।

5

संगीत केवल कानों का नहीं, आत्मा का भी सुकून है। दिन भर के साहित्यिक कार्यक्रम  के बाद, हमारी शाम सजेगी एक मनमोहक ग़ज़ल संध्या से, जहाँ हर सुर, हर शेर, दिल को छू जाएगा। आइए, इस संगीतमय समापन का हिस्सा बनिए और भावनाओं की मधुर लहरों में खो जाइए।

6

मुख्य ऑडिटोरियम में चल रहे साहित्यिक कार्यक्रमों के साथ-साथ, हमारे विशेष बूथ्स पर भी आपका स्वागत है। यहाँ आप श्रेष्ठ साहित्यिक किताबें मुफ़्त में प्राप्त कर सकते हैं, अपनी प्रिय कविता हमारे यूट्यूब चैनल के लिए रिकॉर्ड करवा सकते हैं, और प्रसिद्ध लेखकों की किताबें खरीद सकते हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से साहित्य से आपका जुड़ाव और भी गहरा होगा — यही हमारा विश्वास है।

Bird-No Background_edited.png

साहित्यिक नाटिका 

कैफ़ी आज़मी

वार्षिक साहित्यिक समारोह में हम प्रस्तुत कर रहे हैं एक विशेष नाटक — कैफ़ी आज़मी : एक रंगमंचीय श्रद्धांजलि। यह नाटक सिर्फ एक शायर की कहानी नहीं, बल्कि एक आंदोलन, एक विचार और एक संघर्ष की झलक है। प्रगतिशील लेखक आंदोलन के स्तंभ कैफ़ी आज़मी ने अपनी शायरी के ज़रिए आम आदमी के दुख-दर्द, प्रेम और संघर्ष को आवाज़ दी। यह नाटक उनके जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को उजागर करेगा—उनकी क्रांतिकारी सोच, साहित्यिक यात्रा, सिनेमा से जुड़ाव और हैदराबाद की बेटी शौकत आज़मी से उनका प्रेम। संवादों, शायरी और मंचीय दृश्यों के माध्यम से यह प्रस्तुति दर्शकों को न केवल भावविभोर करेगी, बल्कि कैफ़ी आज़मी की साहित्यिक विरासत से जोड़ने का प्रयास भी करेगी।

KAIFIAZMI portrait.jpg
KAIFIAZMI portrait.jpg
KAIFIAZMI portrait.jpg
1620399_754389957918178_580632923_n.jpg

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

वार्षिक साहित्यिक समारोह में हम प्रस्तुत कर रहे हैं एक विशेष नाट्य प्रस्तुति — महाप्राण निराला। यह नाटक हिंदी साहित्य के महान कवि, उपन्यासकार और विचारक सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के जीवन और काव्य संसार की एक संवेदनशील झलक है। पारंपरिक काव्य-बंधनों को तोड़ते हुए मुक्त छंद को स्वर देने वाले निराला ने अपनी रचनाओं में सामाजिक असमानता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और श्रम की गरिमा जैसे विषयों को गहनता से उठाया। यह नाटक उनके जीवन की संघर्षपूर्ण यात्रा, रचनात्मक पीड़ा और विद्रोही आत्मा को मंच पर जीवंत करेगा। सरोज स्मृति, राम की शक्ति पूजा, कुकुरमुत्ता जैसी कालजयी कृतियों के अंशों के साथ, यह प्रस्तुति दर्शकों को निराला की संवेदना और सोच की गहराई से रूबरू कराएगी।

1620399_754389957918178_580632923_n.jpg
Bird-No Background.png

कविता, किताबें और कला

साहित्यिक सत्रों के अतिरिक्त, हमारे विशेष बूथ पर आप अपनी प्रिय कविता पढ़ सकते हैं, कोई साहित्यिक पुस्तक निःशुल्क अपने साथ ले जा सकते हैं, प्रतिष्ठित लेखकों की हस्ताक्षरित किताबें खरीद सकते हैं और उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवा सकते हैं। ‘शब्द चित्र’ बूथ पर कविता और चित्रकला के अद्भुत संगम का अनुभव लें—इन कलाकृतियों को आप अपने घर की शोभा बढ़ाने के लिए साथ ले जा सकते हैं।

WhatsApp Image 2025-05-04 at 20.03.10.jpeg

मेरी आवाज़ सुनो

हम सभी ने कभी न कभी किसी कविता से गहरा जुड़ाव महसूस किया है—ऐसी कविता जो हमारे मन को छू गई, हमें राह दिखा गई, या जीवन के किसी मोड़ पर सहारा बनी। हमारे वार्षिक कार्यक्रम में, हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप आएं और हमारे विशेष बूथ ‘मेरी आवाज़ सुनो’ पर अपनी प्रिय कविता को पढ़ें।

यह कविता आपकी स्वरचित न होकर किसी प्रतिष्ठित कवि की रचना होनी चाहिए। कृपया कवि का नाम ज़रूर बताएं। हम आपकी आवाज़ को रिकॉर्ड करेंगे और हमारे साहित्यिक चैनल पर प्रसारित करेंगे, ताकि आपकी पसंदीदा कविता और आपकी प्रस्तुति दूर-दूर तक पहुँच सके।

आप इस पहल के बारे में अपने सुझाव भी हमारे बूथ पर साझा कर सकते हैं।
हमें आपकी आवाज़ का इंतज़ार रहेगा। आइए और कविता के इस साझा अनुभव का हिस्सा बनिए।

हर्फ़ों की पुकार

प्रसिद्ध कवि गुलज़ार ने लिखा 
"किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से,
बड़ी हसरत से तकती हैं..."

कभी हमारी सबसे प्यारी हमराज़ रही किताबें आज भी उसी अपनापन की तलबगार हैं। हमारे वार्षिक साहित्यिक कार्यक्रम में एक विशेष पहल — "हर्फ़ों की पुकार" — उन किताबों को समर्पित है जो लंबे समय से अपने पाठकों का इंतज़ार कर रही हैं। ये किताबें अब फिर चाहती हैं कि कोई उन्हें पढ़े, समझे, और सहेजे।

आप इस बूथ से कोई भी साहित्यिक पुस्तक निःशुल्क ले जा सकते हैं। यदि आप चाहें, तो इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए स्वेच्छा से योगदान भी दे सकते हैं।

कई बेमिसाल किताबें इस बूथ पर आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं — शायद कोई एक, आपके दिल पर दस्तक दे। क्या आप किसी किताब की बेचैनी को आवाज़ देंगे?

WhatsApp Image 2025-05-01 at 20.03.59.jpeg
WhatsApp Image 2025-05-06 at 10.58.23.jpeg

मुलाकात किताब और लेखक से

जब आप किसी साहित्यकार की किताब खरीदते हैं और उस पर उनके हस्ताक्षर लेते हैं, तो आप केवल एक पुस्तक नहीं बल्कि एक जीवंत स्मृति, एक अनकहा संवाद और लेखक की आत्मा का अंश अपने साथ घर लाते हैं। यह किताबें महज़ शब्दों का संग्रह नहीं होतीं—ये साहित्यकार की सोच, अनुभव और भावनाओं से सजी जीवंत धरोहर होती हैं, जो हर पन्ने के साथ आपसे बात करती हैं।

हमारे वार्षिक कार्यक्रम में आप अरुण कमल, अभिषेक शुक्ला, लाल्टू, ऋषभदेव शर्मा जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों से मिल सकते हैं, उनकी किताबें खरीद सकते हैं, और उनके हस्ताक्षर या चित्रों के साथ उन्हें अपनी यादों में संजो सकते हैं। आइए, इन शब्दों की दुनिया में एक अमिट स्मृति के साथ प्रवेश करें। हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे।

 शब्दों की तूलिका: रोहित रुसिया के शब्द-चित्र

रोहित रुसिया एक बहुआयामी रचनाकार हैं—कवि, चित्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता। उनकी अनूठी कला पहल ‘शब्द रँग’ में उन्होंने हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों की कविताओं को रंगों और रेखाओं के माध्यम से जीवंत रूप दिया है। उनके बनाए शब्द-चित्र कविता को देखने, महसूस करने और सहेजने का एक नया माध्यम बन गए हैं।

‘क से कविता – छिंदवाड़ा’ के प्रमुख सदस्य रहे रोहित रुसिया ने 'क से कविता - हैदराबाद' की साहित्यिक यात्रा में भी लगातार सहयोग दिया है। इस वर्ष के वार्षिकोत्सव में हम उनके खूबसूरत शब्द-चित्रों को विशेष रूप से आपके लिए ला रहे हैं। आप हमारे बूथ पर जाकर अपनी पसंद का शब्द-चित्र चुन सकते हैं, और हम उसका प्रिंट आपको उपलब्ध करवाएंगे—ताकि कविता की पंक्तियाँ और उनकी छवि आपकी स्मृतियों का हिस्सा बन सकें।

(प्रिंट की केवल लागत राशि देनी होगी।)

WhatsApp Image 2025-05-04 at 00.30.10.jpeg
Bird-No Background_edited.png

कार्यक्रम स्थल

DDE ऑडिटोरीयम, मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, गच्चिबावली, हैदराबाद

Bird-No Background_edited.png

संगीतमय शाम 

क से कविता - साहित्योत्सव का समापन हम सुमधुर संगीत से करेंगे। कविता/ गीत / ग़ज़ल का संगीत से अभिन्न रिश्ता रहा है। इसी रिश्ते को साकार रूप देने के लिए हम आमंत्रित कर रहे हैं दो बेहद प्रतिभाशाली कलाकारों को जिनकी गायन प्रतिभा से दूरदर्शन के माध्यम से पूरा देश प्रभावित हुआ है।

jyoSharma.jpg

ज्योति शर्मा

हैदराबाद की प्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका ज्योति शर्मा 'क से कविता' के वार्षिक साहित्यिक समारोह में अपनी सुरमयी प्रस्तुति देने आ रही हैं। मेहदी हसन, बेग़म अख्तर, ग़ुलाम अली और आशा भोसले जैसी महान हस्तियों से प्रेरित ज्योति ने संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। वे 'ख़ज़ाना ग़ज़ल फ़ेस्टिवल' की विजेता रही हैं, और 'यूवा प्रतिभा (गायन) 2023' जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। ज़ी टीवी के 'स्वर्ण स्वर भारत', 'लव मी इंडिया किड्स', और दूरदर्शन के 'सुरों का एकलव्य' जैसे मंचों की वे फाइनलिस्ट रह चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने मलेशिया में 'इंटरनेशनल उगादि कीर्ति रत्'न पुरस्कार प्राप्त किया और पं. जसराज जी के संगीत समारोह सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुति दी है। उनकी गायकी में उनके दादा पं. रतनलाल शर्मा और पिता गोविंद शर्मा की विरासत साफ झलकती है।

Singer2.jpeg

देविका शर्मा 

हैदराबाद की प्रतिभाशाली बाल गायिका देविका शर्मा, जो ज़ी टीवी के लोकप्रिय रियलिटी शो "सा रे गा मा पा लिटिल चैंप्स 2022" की टॉप 7 फाइनलिस्ट रह चुकी हैं, अब 'क से कविता' के वार्षिक समारोह में अपने सुरों का जादू बिखेरने आ रही हैं। संगीत उनके लिए सिर्फ़ शौक नहीं, विरासत है। उनके दादा पं. रतनलाल शर्मा हैदराबाद के जाने-माने हारमोनियम वादक हैं और पिता गोविंद शर्मा एक प्रसिद्ध गायक व संगीतकार हैं। देविका ने परवीन सुल्ताना का “हमें तुमसे प्यार कितना” गाकर शो के जजों को इतना मंत्रमुग्ध कर दिया कि उन्हें सीधे गाला राउंड के लिए गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। देविका की गायकी और हारमोनियम पर पकड़, उनकी अद्भुत प्रतिभा की मिसाल है।

Harjeet.jpeg

ठाकुर हरिजीत सिंह

ग़ज़ल की इस मधुर शाम को तबले की संगत से सँवारेंगे ठाकुर हरिजीत सिंह। हैदराबाद के प्रख्यात तबला वादक ठाकुर हरिजीत सिंह 'क से कविता' के मंच पर अपनी अद्भुत तालों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। हरिजीत सिंह जी की तबला साधना उनकी वर्षों की मेहनत और रियाज़ का परिणाम है। शास्त्रीय संगीत से लेकर कविताओं की भावभूमि तक, उनकी संगत, हर प्रस्तुति में एक नई ऊर्जा और गहराई जोड़ती है।

bottom of page